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पहला ख़त
उसको लिखा एक ख़त पहले मैंने
और जब भी डाकिया अपने
साइकिल की घंटी बजाता
दौड़ के मैं खिड़की के पास खड़ा हो जाता
लेकिन अफ़सोस वो ख़त मेरे लिए नहीं
गुज़र गए दिन ऐसे कई
और उदासी की लहर छाने लगी मेरे तन मन में
ये सोच के क्यों नज़र अदाज़ की उस ने
फिर आया जब एक दिन मैं अपने घर
तो देखा एक लिफ़ाफ़ा मेरे मेज़ पर
बिलकुल वो एक ख़त था
"P. S" उस के पीछे लिखा था
मचल उठा मैं ख़ुशी से
बड़ा अच्छा लगने लगा उस दिन से
ख़त का इंतज़ार करते करते
वो भी क्या दिन थे!
© Krishnan
#Kavita #letter #khat #intezaar #waiting #poem #hindipoetry #poetrycommunity #poetrylovers
और जब भी डाकिया अपने
साइकिल की घंटी बजाता
दौड़ के मैं खिड़की के पास खड़ा हो जाता
लेकिन अफ़सोस वो ख़त मेरे लिए नहीं
गुज़र गए दिन ऐसे कई
और उदासी की लहर छाने लगी मेरे तन मन में
ये सोच के क्यों नज़र अदाज़ की उस ने
फिर आया जब एक दिन मैं अपने घर
तो देखा एक लिफ़ाफ़ा मेरे मेज़ पर
बिलकुल वो एक ख़त था
"P. S" उस के पीछे लिखा था
मचल उठा मैं ख़ुशी से
बड़ा अच्छा लगने लगा उस दिन से
ख़त का इंतज़ार करते करते
वो भी क्या दिन थे!
© Krishnan
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