...

3 views

हम चमक ना पाए...

बनने तो हम चले थे आसमां के सितारे,
कोशिश भी की थी हमने,पर हम चमक ना पाए...

मंजिल थी आने वाली दो कदम की थी दूरी,
इतने करीब होकर द्वारे से लौट आए...

घर से उड़ान भरकर निकले थे कफ़न बांधे,
पंखों ने साथ छोड़ा और हम संभल ना पाए...

यूं आसमां से सीधे धरती पर आ गिरे हम ..
अपनी इस हार पर हम सक्रोध शर्माए...

बनने तो हम चले थे आसमां के सितारे,
कोशिश भी की थी हमने पर हम चमक ना पाए...
स्वरचित (मौलिक)-सोनाली तिवारी"दीपशिखा"
© All Rights Reserved