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Dialogue of the moon and the sea
#चाँदसमुद्रसंवाद

• चाँद: "समुद्र, तेरे गहरे अंधेरों में मैं देखता हूँ अपनी छवि को, तेरे लहरों की छाया में खोया, चमकता हूँ मैं सुकून से, गहराई में डूबा।"

• समुद्र: "चाँद, तेरे प्रकाश की यह मृदु चमक मेरे जल को सहलाती है जैसे प्रेम की झलक, तेरे रौशन चेहरे की यह नर्म सी चमक मेरे लहरों को संजीवनी देती है, प्रियतम।"

• चाँद: "तेरे हिलते जल के लहरों में, मैं अपने प्रतिबिंब को ढूंढता हूँ, तेरे बिना मेरी रातें अधूरी हैं, तेरी मौन आवाज़ से मैं मंत्रमुग्ध हूँ।"

• समुद्र: "तेरे बिना तो मेरी लहरें भी बेजान लगती हैं, तेरे स्नेह से ही तो मेरी सुबह होती है हसीन, तेरे साथ की यह रात्रि, यह चाँदनी का संग, मेरे अथाह विस्तार को भी, संपूर्ण कर देती है।"

[ चाँद और समुद्र, इस संवाद में, सृष्टि के अदृश्य सूत्र को जोड़े हैं, प्रेम और स्नेह की इस अद्भुत कहानी में, उनकी साझी रातें, चिरकालिक सौगात हैं। ]