Dialogue of the moon and the sea
#चाँदसमुद्रसंवाद
• चाँद: "समुद्र, तेरे गहरे अंधेरों में मैं देखता हूँ अपनी छवि को, तेरे लहरों की छाया में खोया, चमकता हूँ मैं सुकून से, गहराई में डूबा।"
• समुद्र: "चाँद, तेरे प्रकाश की यह मृदु चमक मेरे जल को सहलाती है जैसे प्रेम की झलक, तेरे रौशन चेहरे की यह नर्म सी चमक मेरे लहरों को संजीवनी देती है, प्रियतम।"
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• चाँद: "समुद्र, तेरे गहरे अंधेरों में मैं देखता हूँ अपनी छवि को, तेरे लहरों की छाया में खोया, चमकता हूँ मैं सुकून से, गहराई में डूबा।"
• समुद्र: "चाँद, तेरे प्रकाश की यह मृदु चमक मेरे जल को सहलाती है जैसे प्रेम की झलक, तेरे रौशन चेहरे की यह नर्म सी चमक मेरे लहरों को संजीवनी देती है, प्रियतम।"
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