...

9 views

बिछड़ कर मिलना था
ज़िंदगी का गुजरा हुआ हर लम्हा याद आता है
उनके संग हुई बातें सुकुन और खुशियों भरी थी
पर आज बहुत रूलाता है याद वो इतना आता है
समझ नहीं आता है याद करूं या भूला दूं,
कुछ दिनों का मिलन उम्र भर का जुदाई
वक्त तक़दीर में हमारे लिखा है।
चाहते है फिर हो वो मुलाकात और बातें
पर जानते है कुछ न मिलेगा दोनों को दर्द
और बदनामी के सिवाय।
दरमियान ये दुरियां पसंद है जो
उनके बैचेनी का हमें एहसास हो।
इत्ती सी इश्क है एक दुजे के दिल मे रहना था
बिछड़ कर मिलना था फिर मिले यह दुआ है।




© Sunita barnwal