...

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यकी मानो ...बस याद दिला रही हूँ
हाँ थी तलाश कुछ उम्मीदो की ....
मिली उदासी छीपी हुई हर हर्फ मे ।
सोचा के क्या ही बढाए इन दर्द की परतो को ।
कभी हार ना मानने का सबक मिला है जिंदगी से ....।
ये तुम्हे बस याद दिला रही हूँ।
जरूरत है भी नही मिराजी ऊंचाई की ....मुड़कर देखोगे तो पाओगे खुद से काफी बेहतर हो चुके हो तुम....कोशिश ना करने वालो से आगे आ चुके हो तुम...
शायद ना हासिल हुए हो पैमाने मुक्कमल मुकाम के दुनिया की नजर मे
कद बढ चुका है तुम्हारा ...बढना है तुम्हे तुम्हार ही ही नजर मे दुनिया तुम्हे देखे वैसा ही कद खुद से बढ चुका है तुम्हारा पहले ही...खुद से काफी बेहतर हो चुके हो तुम....।
सफर तुम्हार,जिन्दगी तुम्हारी खुआब तुम्हारे मंजिले और मुश्क़िले भी।
जीया नही किसी ने इसे तुम सा; तो क्या जरूरत खोखले सबूतो की।
हा भेजा है खुदा ने सभी को साथ...