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यकी मानो ...बस याद दिला रही हूँ
हाँ थी तलाश कुछ उम्मीदो की ....
मिली उदासी छीपी हुई हर हर्फ मे ।
सोचा के क्या ही बढाए इन दर्द की परतो को ।
कभी हार ना मानने का सबक मिला है जिंदगी से ....।
ये तुम्हे बस याद दिला रही हूँ।
जरूरत है भी नही मिराजी ऊंचाई की ....मुड़कर देखोगे तो पाओगे खुद से काफी बेहतर हो चुके हो तुम....कोशिश ना करने वालो से आगे आ चुके हो तुम...
शायद ना हासिल हुए हो पैमाने मुक्कमल मुकाम के दुनिया की नजर मे
कद बढ चुका है तुम्हारा ...बढना है तुम्हे तुम्हार ही ही नजर मे दुनिया तुम्हे देखे वैसा ही कद खुद से बढ चुका है तुम्हारा पहले ही...खुद से काफी बेहतर हो चुके हो तुम....।
सफर तुम्हार,जिन्दगी तुम्हारी खुआब तुम्हारे मंजिले और मुश्क़िले भी।
जीया नही किसी ने इसे तुम सा; तो क्या जरूरत खोखले सबूतो की।
हा भेजा है खुदा ने सभी को साथ चलने और साथ रहने के लिए; मगर यकीनन कभी अकेले होने का मतलब अधूरा होना नही मौका है वो बस खुद मे झाकने का...बनाया जिसने तुम्हे उसका इक हिस्सा खुद मे ढूंढने का
यकी मानो हर सवाल का जबाव मिलेगा तुम्हे खुद मे ही ...कभी बैठना खामोश सुनना आवाज अपने ज़मीर की
यकी मानो फर्क है बहुत किसी गाढी गलतफहमी सा...
रूक कर सोचकर रास्ता बदलना नही है हार जाना, खुद का सही चुनना नही है हार मानना यकी मानो उलझ सकते हो तुम अपने अतीत मे मगर रूक नही सकते ..
आखिरी सफर है मौत हार मान सकते हो शायद जिदगी मे आगे बढने से मगर चाहो भी तो उससे पहले रूक नही सकते जब चलते रहना है जिदगी तो फिर क्यो हार मानना...
सीखाया है बहुत कुछ मेरी पढ़ने की आदत ने मुझे
सीखा इंसानो से, किताबो से, लफ्ज़ो से ,जज्बातो से जिदगी से और हालातो से ..
हार मानना चुनाव है;ठहरना मुमकिन नही जिदगी कोई मुकाम नही ;सफर है जिसे चलना चुनाव है हर बार बेहतरी से ।
यकी मानो बस याद दिला रही हूँ
जीया है तुमने इसे बेहतरी से बहूत कुछ सीखा है बहुत बेहतर तर हो चुके हो तुम खुद की नजरो मे अपनी पिछली जिन्दगी से।
यकी मानो बस याद दिला रही हू हार मानना तुम्हारा चुनाव नही;रूकना संभव ही नही ना हार मानने का सबक सीखा है जिदगी से।
© Meenakshi ___ मीशा✒️