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अध्ययन ही करना है तो जीवन का करें, क्योंकि यह अध्ययन मौत तक काम आता है
मुझे जब कभी भी जीवन में बच्चों को पढ़ाने का मौका मिलता है, तो मैं बच्चों से हमेशा दो भागों में बात करता हूँ, पहला तो वो भाग - जिसके लिए मैं बुलाया गया हूँ- मतलब बच्चों के सिलेबस की बात करना और उसे अच्छे से कम्पलीट कराना, और दूसरा वो भाग- जिसकी हर किसी बच्चे को जरुरत है, बच्चे में सही और गलत की समझ पैदा करना, बच्चे में ज्ञान की भूख पैदा करना, जिससे बच्चा भटके नहीं, बल्कि स्वयं के विवेक से अपने जीवन को एक नया और अच्छा रुप दे सके, मुझे लगता है बच्चों को ऐसे ज्ञान की अत्यंत जरुरत है, जो उनको मौत तक का बोध दे जाए, सिलेबस की बातें कुछ सालों की हो सकती है, लेकिन सही और गलत की परख आजीवन काम आती है, उसकी कोई वेलेडिटी नहीं होती, वह शाश्वत है।
© 🌍Mr Strength