...

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गुजरते लम्हों की तस्वीर जला रहा हूं
गुजरते हुए लम्हों की तस्वीर जला रहा हूं
मैं इक - इक करके यादें को भुला रहा हूं
वक़्त की तमाम निशानियों को संजोए थे
तस्वीरों के साथ खुद को भी मिटा रहा हूं

अनकहे अनसुने किस्से वक़्त की कहानी में
तस्वीरों से मुलाक़ातों के क्षण को हटा रहा हूं
आज कल के ज़ख़्मों को इकट्ठा करके रखें है
तस्वीर की कहानी अश्कों के साथ छुपा रहा हूं

तमाम उम्र के सफ़र से ऐसे थोड़ा दूर होने लगे है
कहीं ना कहीं पुरानी तस्वीर का क़ाफ़िला रहा हूं
वक़्त बे-वक़्त के किस्से कहानियों समेट हुए थे
इक इक करके वक़्त के ख़तों को जला रहा हूं

तस्वीरों के पन्नें पे तमाम ज़ज्बात यह ही नहीं
ज़िंदगी के हसीन पलों से थोड़ा बेवफ़ा रहा हूं
एहसासों की बातें वक़्त के साथ गुजारत गई
उलझे सुलझे सवालों से खुद को फँसा रहा हूं

वक़्त के सामने वक़्त को ही आजमाएं हुए है
वक़्त की बेईमानी तस्वीरोंके साथ जला रहा हूं
खुद को तमाम तस्वीरों में ही कहीं रखे हुए है
गुजरते हुए वक़्त को बे-इंतिहा ही भुला रहा हूं

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes