नई उम्मीद
लो बीत गया एक और बरस
अब आदत सी हो गयी बिना उसके
अब नही डर लगता जुदाई से
शरीर की इच्छा भी अब शांत हो गयी।।
पर नही दे सकती खुद को किसी और को
हक तो रहेगा तो सिर्फ उसका...
अब आदत सी हो गयी बिना उसके
अब नही डर लगता जुदाई से
शरीर की इच्छा भी अब शांत हो गयी।।
पर नही दे सकती खुद को किसी और को
हक तो रहेगा तो सिर्फ उसका...