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जश्न और वीरान
नशा- ए- जश्न के बाद
तन्हाई बर्दाश्त नही होती
शोर से सने कान
और कंपित रुवाँ - रुवाँ
सातवे आसमान में
जैसे हो जोश मदहोश नुमा
धड़कने दौड़ती हो
अपनी रेस में
न फिक्र हो न परवाह हो
जाहिल हो मन मस्ती में
झूमे बदन गीत में
सने धूल से
आनन्द इतना की
मापने की फुर्सत नही
बिता सब, अब बदन कराहे
वीरान यहाँ कोई नही
© Karan
तन्हाई बर्दाश्त नही होती
शोर से सने कान
और कंपित रुवाँ - रुवाँ
सातवे आसमान में
जैसे हो जोश मदहोश नुमा
धड़कने दौड़ती हो
अपनी रेस में
न फिक्र हो न परवाह हो
जाहिल हो मन मस्ती में
झूमे बदन गीत में
सने धूल से
आनन्द इतना की
मापने की फुर्सत नही
बिता सब, अब बदन कराहे
वीरान यहाँ कोई नही
© Karan
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