...

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काश
काश की वो हमें भूल जाएं।
काश की हमें उन्हें फिर से अक्सर याद आएं।
काश की चांद में दिखें हमें उनका चेहरा।
काश की वो हम पर बारिशों सा झूम कर आएं।
काश की ये ख़ामोशी दफ़न हो जाएं कहीं।
काश की हम उनके गेशुओ को फिर से सुलझाएं।
काश की शब समेट लूं उनकी लबों से फिर।
काश की वो शाम में मेरी आदत बन जाएं।
काश की ज़िन्दगी लगे फिर से गुलज़ार सी।
काश की इश्क़ में फिर से हमारा नाम एक हो जाएं।
काश की सभी परेशानियों को ठुकराएं हम।
काश की दिल कोई नया नगमा हमें सुनाएं।
काश की हम तड़पा करें उनके बिना फिर।
काश की वो भी तड़प कर मेरी बांहों में टूट जाएं।
काश की चांदनी करे दीदार हमारे साथ का।
काश की चांद भी चांदनी को हम जैसा इश्क़ सिखाएं।
काश की रोशन हो ज़िन्दगी उनके आने से।
काश की बेफिक्री मेरी उनके करीब लेे जाएं।।
काश की हम उलझे उनके सवालों में।
काश की वो सबको भूल कर मेरी मुश्किलें सुलझाएं।
काश की वो हो सिर्फ़ हमारा बस हमारा ही हमेशा।
काश की ज़माने में कोई हमको उनके जैसा मिल जाएं।।
काश की ज़िक्र हो तो बस वफ़ा का हमारे दरमियान।
काश ये दूरियां दरमियान किसी इश्क़ में नज़र ना आएं।।
काश कभी ये काश भी तो सच हो कर दिखाएं।
काश की ज़िन्दगी हमारी कभी दोबारा कहीं मुस्कुराएं।।

© ज़िंदादिल संदीप