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मैं चलीं...
चली मैं अकेली,
बिना कोई साथ सहेली।।
सब कहते हैं जीवन एक पहेली,
लेकिन, मुझे लगता है यह एक खेल,
आंख~मिचौली।।
जीवन में हम,
खाली झोली लेकर आयें थे,
और खाली झोली लेकर जाते हैं।।
इस सृष्टि नाटक में
कोई का भी पार्ट
नहीं होते अदली~बदली,
सबके अपना अपना पार्ट,
सच में असली।।
© Vanishri Patil
#VanishriPatil #WritcoQuote #writco #inspirational #spirituality #love #motivational #quote #thoughts #poem
बिना कोई साथ सहेली।।
सब कहते हैं जीवन एक पहेली,
लेकिन, मुझे लगता है यह एक खेल,
आंख~मिचौली।।
जीवन में हम,
खाली झोली लेकर आयें थे,
और खाली झोली लेकर जाते हैं।।
इस सृष्टि नाटक में
कोई का भी पार्ट
नहीं होते अदली~बदली,
सबके अपना अपना पार्ट,
सच में असली।।
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