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आत्म मंथन
आजकल ये एहसास होता है,
कि रब्ब का बनाया हर शख्स ख़ास होता है।
अपनी कल्पनाओं में जिनको नज़रों से गिराया था मैंने कभी,
वो उतने भी बुरे नहीं ये अआभास होता है।
यूं तो किसी को अपनी कसौटीओं पे न आज़माऊं मेरा ये प्रयास होता है,
लेकिन जब इन सिंधांतों को लागू करने का समय मेरे पास होता है,
जाने कहाँ गुम ये एहसास होता है,
कि रब्ब का बनाया हर एक शख्स ख़ास होता है।
कुछ तज़ुर्बो के वश कुछ अपनी मानसिकता के वश में गलत आंकलन कर जाती हूँ,
जो मेरे हिसाब से न हुआ उससे देख क्रोध से भर जाती हूँ।
मगर जब आत्मिक चेतना झनझोड़ कर रखती है मुझे,
तब ये विश्वास होता है,
कि रब्ब का बनाया हर शख्स ख़ास होता है।
अवगुणों को कर के दरकिनार गुणों को देखने की दृष्टि चाहती हूँ
जानती हूँ बेवजह ही लोगों को आज़माने लग जाती हूँ,
जब लोग मुझे आज़माते हैं,
तब चिंतन करने लग जाती हूँ,
ये खुदसे खुद का आत्मिक संवाद आम हो कर भी ख़ास होता है,
जब ये एहसास होता है,
कि रब्ब का बनाया हर शख्स ख़ास होता है।
© Haniya kaur