...

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"जीवन रुपी सागर"
जीवन रुपी सागर में अब बह चला है मन,
आगे कुछ क्या ही कहूँ,
जानत हैं हर विद्वान,
कि जीवन रुपी सागर में बहना नहीं है आसान।

भौतिकता से परे है ये जीवन,
अलौकिक शक्तियों के है पास,
सफ़ल वही मनुष्य है इस जग में,
जो लगा ले थोड़ा भगवन...