पन्ने डायरी के
तमाशा देखने आए हो, क्या लाए हो कही ज़मीर बेच के तो नहीं आए हो। क्या जरूरत थी बेचने कि खुद ही झोंक देते कृशानु मे, लगता है कि मुश्किलों से घबरा भाग आए हो।
इतने ही कमजोर थे तो क्यू उतरे ले खड्ग, तुम्ही तो कूदे थे
चलो मान लिया योद्धा नही, पर हार कब से प्यारी हुई तुम्हें...
इतने ही कमजोर थे तो क्यू उतरे ले खड्ग, तुम्ही तो कूदे थे
चलो मान लिया योद्धा नही, पर हार कब से प्यारी हुई तुम्हें...