...

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जो तुम मिलने आ जाओ.!
स्याह रात ने घेर रक्खा है मुझको
अमावस में चाँद उग आए जो तुम मिलने आ जाओ

सर पे मिरे अभी कड़कती धूप है बहुत
बरसात मुझे भिगो जाए जो तुम मिलने आ जाओ

तुम्हारे संग उतर आएँगे तारे मिरे आँगन में
ये ज़मीं आसमान हो जाए जो तुम मिलने आ जाओ

थक चुका है दिल इस ग़म के फ़साने से
सुकूँ के लम्हें मयस्सर हों जाएँ जो तुम मिलने आ जाओ

शब-ए-हिज्र के हिस्से में हो इक रोशन सवेरा
खुर्शीद सब‌ अँधेरे मिटा जाए जो तुम मिलने आ जाओ

उदासी बाल खोले सो रही है मिरे कमरे में
ये रुत उनमें गजरे पिरो जाए जो तुम मिलने आ जाओ

हवाओं में फैली है जो इन ग़ुलों की खुशबू
मेरे दिल में समो जाए जो तुम मिलने आ जाओ

सारे दर्द मिट जाएँगे आ कर बाँहों में तेरी
मिरा हर ज़ख़्म सो जाए जो तुम मिलने आ जाओ