...

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कहो क्या तब तुम आओगे
अमावस की काली रातों में,
जब मेरा मन घबराएगा।
घनघोर अंधेरा होगा फिर,
और कुछ नज़र ना आएगा।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

जब बैरी होंगे अपने मेरे,
कटु शब्द के बाण छोड़ेंगे।
ठुकरा के प्रेम और त्याग मेरा,
फिर वो हृदय को मेरे तोड़ेंगे।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

एकांत मैं बैठ जब नेत्र मेरे,
पीड़ा से अश्रु बहाएंगे।
जब मित्र बन शत्रु सभी,
मेरा भरोसा छल जाएंगे।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

जब श्राप की भांति जीवन मेरा,
कष्टों से पूर्ण भर जाएगा।
जब घाव होगा अधिक जटिल,
कोई उपचार काम ना आएगा।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

जब वास्तविकता से होगा सामना,
मुझ पर प्रश्न सभी उठाएंगे।
और कुछ ना कह पाने की दशा में,
मेरे शब्द कहीं थम जाएंगे।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

जब जीवन घूमेगा आँखों के आगे,
फिर अंतिम समय भी आएगा।
नाम तुम्हारा अधरों तक आकर,
कुछ सोच अगर रुक जाएगा।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??

जब वो आखिरी हिचकी पुकारेगी तुमको,
क्या उस क्षण भी स्वयं को बहलाओगे।
जब रुंधी ध्वनि निकलेगी कंठ से,
तो क्या नाम तुम्हारा सुन पाओगे।।
....कहो क्या तब तुम आओगे..??
कहो क्या तब तुम आओगे..??
❤️❤️
~रूपकीबातें
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