...

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सारे भरम मिट गए..
आज सारे भरम मिट गए..
सब अपने अपने वायदे निभा गए..
खुद, खुद की नजरों में बिछड़ गए..
थे कुछ ख्वाब, एक एक कर सब बिखर गए..
थे मेरे अपने वो साथ निभाकर चले गए..
मेरे वजूद के पायदान मेरे नीचे से खिसक गए..
आहिस्ता आहिस्ता सब बेखबर हो गए..
मेरे ख्वाब मुझसे जुदा हो गए..
थे मेरे अपने जो मुझसे रूठ गए..
थे हम गैर जो हक जता भी नहीं पाए..
इश्क़ के कारोबारी दुनिया के आलम में बिछड़ गए..
सब पंछी आहिस्ता करके काफिलों में उड़ गए..
दुनिया की जंग में मोहब्बत के दावेदार अपना दांव भुला दिये गए..
मेरे याराना यार एक एक करके मुझसे बिछड़ गए..
मेरी महफ़िल का एक एक सितारा मुझसे गुम गए..
मेरा ईमान, धर्म कर्म, विश्वास, गिरेबांन , वजूद, सब दांव लग गए..
और
आखिरी मंजिल का सफ़र मेरा खुदा मेरे भोला (🕉)जीत गए..
और
मैं नादां, मासूम बेबकूफ़ रह गए..

इस काबिल ए तारीफ जिंदगी में हम नाकाम रह गए..
रिश्तों की बुनियादी डोरों खो बैठे..
अपने यकीन पर यकीन को आखिरी सफ़र में खो बैठे..
आहिस्ता आहिस्ता सारे भरम मिट गए..
और
हम दुनिया के उसूलों पर ढल गए..
और दो चार दिन की जिंदगी चार लम्हें में जी गए..
आखिरी पायदान पर
हम दुनिया से रूखसत हो गए.. by क्षमा सैनी 👑😎
© @kshamasaini