...

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नीयत खराब रखिए... (गजल)
चाहे कांटे भर दो मेरे दामन में
अपने पास जाना गुलाब रखिए

तुम्हें भूल जाने की आदत है बड़ी
अपने पास कोई किताब रखिए

लोग बेवकूफ समझते हैं 'सत्या'
हर एक सवाल का जवाब रखिए

शरीफों का यहां गुजारा नहीं साहब
थोड़ी सी नीयत भी खराब रखिए

नेकी का हिसाब लगाके बैठे हो तुम
अपने गुनाहों का भी हिसाब रखिए

ज्यादा भीड़- भाड़ भी ठीक नहीं
दोस्त कम पर लाजबाव रखिए

करते हैं प्यार तो सह जायेंगे हम
मगर जहां में सही बर्ताव रखिए

पीछे ना भागें बेवजह किसी के
जो पूरे हो जायें वही ख्वाब रखिए

© Shaayar Satya