...

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शुणा मेरे देशे री कहानी..
क्या दसूं यारों तुसा जो,
ग्राउं री कहानी।
बसिरा उथड़ी धारा न,
ग्लान्दे एस-जो बड़ी झुराड़ी।
शिड़ीदार बागलु एथि,
एक पासे परैली री घाटी।
सभी गे ऊपर माता लाहुली रा डेरा,
सामने बडी मां फुंगणि रा बसेरा।
दुई पासे ठंडा पानी री नाले,
एक कंग्याड़े दूजा भादर डवारे।
जिमी सा एथि-री बड़ी प्यारी,
किछ भी बीजो पजदी बड़ी भारी।
उथड़ी धारा हैया चेलार-सर,
थोड़ी दूर जाइया मिलदा सूरजगढ़।
जंगल बूटी बुजुर्गा-री बचाइरी,
रई-तोस खरेउ केलु-काइली।
हुण क्या दसूं एथि-रे नजारे,
शोभले पहाड़ धौलाधारा-रे।
बरसाती-रे टेम बरसात-के ध्याड़े
सभी लई जांदे डांगरे चारने,
किछ जामु-रे-गोठा किछ मकरधारे।
जामु रे गोठा जामु रे डाले
जामु भरी के घरा पुझाले।
हिउँ एथि हर साल-ए बरदा,
हर महाणू फिरी राम सा केरदा।
ऐड़ी-है किछ एथि री कहानी,
उम्मीद तुसा जो पसंद आउंनी।

© Joginder Thakur