...

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ग़ज़ल
गर ग़ज़ल का हुनर पता होता
ज़िंदगी में अलग मज़ा होता

इश्क़ कागज़ क़लम से है मुझको
मेरा लिक्खा कभी पढ़ा होता

लहरों का गर इरादा होता नेक
रेत पर भी महल बना...