...

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फितरत
तेरी मोहब्बत का शौक पालने वाले
ये जुबान से,दिल से तेरा नाम लेते हैं
जरा सी बात पे फिर खफा होकर यूं
आवेश में होश अपने भुला कर क्यों
आसमान सिर पर उठा, हद्द करते हैं

जिस जुबान से निकला है नाम तेरा
वह गफलत में संस्कार भुलाए क्यों
जिस नजर में तेरे दीदार की तलब हो
वह किसी को टेढी आंख दिखाए क्यों
किस बेबसी में हम तिरस्कार करते हैं

अपने लिए नित्य नये सपने संजोना
दूसरों को पछाड़ने का व्यवहार क्यों
हाथ पकड़कर आगे बढ़ोगे औरों का
कामयाबी हर कदम पर रंग लाएगी
अकेले नहीं कटेगी डगर जिंदगी की
जाहिर करो हां हम उससे प्यार करते हैं

© PJ Singh