...

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सार्थक
जिंदगी में बहुत सा वक्त
दुसरों को देखने में
ही चला जाता है
और स्वयं का ध्यान
देना हि भूल जाते है
जब समझ आता है
तब हमारा जीवन
आखरी पड़ाव पर होता है
पहले स्वयं ध्यान
तो जीवन सुज्ञान
स्वयं परिवर्तन से
हमारे जिंदगी में
बदलाव हो सकता है
वही हमारी
सच्ची पहचान होती है
जो दुसरों को
प्रेरणादायक बन सकता है
तो हमारा जीवन
सार्थक साबित होगा
© आत्मेश्वर