...

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पूछते हैं ये मुझसे......
आज कल मैं ज़रा कम ही बोलती हूं।
तनहाई से बातें ज्यादा करती हूं।
वफाई सिर्फ अकेलेपन से रखती हुं,
पूछते हैं ये लब मुझसे की किस कुसर से मुझे जंजीरों में जकड़ा है तूने,
क्या मैं तुझे इतनी ख़ुदग़र्ज़ लगती हूं।

मोहब्बत पे ज़रा कम ही ऐतबार रखती हुं।
मुस्कुराहट से ज़रा कम ही मिलती हूं
प्यार सिर्फ अब आंसुओं से करती हूं
पूछती है ये जिंदगी मुझसे की किस कुसूर से...