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स्याही के कुछ छींटों से
एक सफेद कागज पर
स्याही के कुछ छींटों से
कुछ दर्द लिखे , कुछ आशाएं थोड़े से अरमान लिखे
दर्द के छींटे मोटे थे , आशाएं कुछ भारी थी
अरमान जरा से हल्के थे
समय बिता तो ज्ञात हुआ
दर्द वैसे के वैसे थे
आशाएं कुछ मिट सी गई
अरमान जो मेरे हल्के थे वो बिलकुल भी बच्चे नहीं ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।
स्याही के कुछ छींटों से
कुछ दर्द लिखे , कुछ आशाएं थोड़े से अरमान लिखे
दर्द के छींटे मोटे थे , आशाएं कुछ भारी थी
अरमान जरा से हल्के थे
समय बिता तो ज्ञात हुआ
दर्द वैसे के वैसे थे
आशाएं कुछ मिट सी गई
अरमान जो मेरे हल्के थे वो बिलकुल भी बच्चे नहीं ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।
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