...

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लंबी दूरी का रिश्ता
जो कल बिलकुल अंजान था,

बन गया है आज

मेरे अस्तित्व का अभिन्न हिसा,

कैसे बयांँ करुँ क्या है मेरे लिए

वो लंबी दूरी का रिश्ता।


दुनिया कहती है ये रिश्ते ज़्यादा टिक नहीं पाते हैं,

वक्त के साथ-साथ इन में मत भेद आ जाते हैं,

बेज़ारी की कैफियत (ना मिल पाने की निराशा)लिए होता है इनका क़िस्सा,

जिसे कहते हैं हम लंबी दूरी का रिश्ता।


मैंने तो ये देखा ,ये महसूस किया,

के कुछ रिश्ते जो रोज़ निभाती हूँ मैं,

फ़िर भी उन्हें अंजान ही पाती हूँ में,

ये दूरियों भरा रिश्ता लगता है सबसे सच्चा रिश्ता,

मेरे लिए अनमोल हो तुम,

और तुमसे लंबी दूरी का रिश्ता।


प्यार करना सिखाया है तुमने मुझे,

खुल कर अपनी ख़ुबियों को पहचान कर जीना सिखाया है तुमने मूझे,

मेरे लिए तुम हो जैसे मोहब्बत का कोई फ़रिश्ता,

मेरी दुनिया है अब ये लम्बी दूरी का रिश्ता।


कभी रो पड़ती हूंँ ये सोच कर कि मेरा वजूद तेरी बाहोंं की पनाहों से महरूम क्यूंँ है?

क्या होगा भविष्य,

कैसे निभेगा तेरा मेरा रिश्ता?

फ़िर भी तुझ पे यकीन पूरा है,

रूहानी है ये लम्बी दूरी का रिश्ता।
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© Haniya kaur