...

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वक्त
वक्त के इस दौर से गुजर जाना ही होगा
खो चुका जो तू फिर से पाना ही होगा
वक्त चलता ही रहा है वो कभी रुकता नहीं
तू भी चल संग वक्त के रुकना तेरा हक है नहीं
मंजिलो की राह में तू बढ़ा चल शामो सुबह
जख्म देखे बगैर हो प्रफुल्लित
राह में की कदम खुद ही बढ़ चले
वक्त आता है और आएगा ही
तू जो भी चाहता है मिल जाएगा ही
उठ चल और चलता रह वक्त के साथ
क्योंकि पत्तियां नई खिलती है हर पतझड़ के बाद।