...

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बारिश और वो
वो हसीन
और वो उसकी गीली और खुली जुल्फें,
उन जुल्फों से पानी छिड़क ना,
कैसी भी बारिश इस की तुलना में नहीं।

वो उसका सुबह का नहा के बाहर आना,
और पूरे घर को मेहकाना,
कैसी भी बारिश की सुगंध इस की तुलना में नहीं।

वो उसका सुबह सुबह गुनगुना ना,
और अपनी आवाज़ से पूरे घर को चहकाना,
कैसी भी बारिश की आवाज़ इस की तुलना में नहीं।

तुम तुम नही बारिश की पूरी मौसम हो,
जो पूरे साल और हर लम्हे में हम चाहते है,
चाहते है की ये बारिश हम पे गिरती ही रहे।

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