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!...भाजपा v/s वतन की बेटी...!
कलियों से कह दो चमन से न रूठे
भगवा है भवरा तो क्या कीजिएगा

हैं आदत ये इसकी, गुलों को है खाता
बहारों का दूल्हा, खिजां भी है इसकी

बेईमानो की मजलिस में क्या इंसाफ होगा
सिपाही, अदालत, गवाह भी है इसकी

बुत ये नया है नया ये चमन है
पुजारी नए है वतन की दुकां में

तुम शीशा हो वो जो, संग को भी तोड़े
मुझे फक्र है कि तुम तुफां में खड़ी हो

चमन – अभी की सरकार
भवरा – ब्रजभूषण
बुत – प्रधानमंत्री
बहार और खिजां – अच्छे बुरे सभी नेता बहुमत वाली सरकार की
संग – पत्थर
वतन की दुकां – नया संसद भवन
पुजारी – गोदी मीडिया

Kaliyo se keh do chaman se na ruthe
Bhagwa h bhawra to kya kijiyega

Hai adat ye iski Gulo ko h khata
Baharo ka h dulha khija bhi h iski

But ye Naya hai Naya ye chaman hai
Puzaari naye h watan ki dukaan mai

Baimano ki mazlis h to kya insaaf hoga
Sipaahi adalat gawaah bhi h inke

Tum seesa ho wo jo sang ko bhi tode
Mujhe faqr tum par ki tufaan me khadi ho

_–12114