...

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वो पुरानी कहानी नहीं चाहिए
वो पुरानी कहानी नहीं चाहिए
याद में कोई आनी नहीं चाहिए।

मानता हूॅं मैं बीमार हूॅं इश़्क में
पर कोई नब्ज़-दानी नहीं चाहिए।

चाॅंद ताको मगर, बादलों में हो तो
कोई आदत बनानी नहीं चाहिए।

कोई झूठी तसल्ली नहीं दो मुझे
दिन में ये रात-रानी नहीं चाहिए।

तन्हा रहने की आदत सी है अब मुझे
और कोई भी सानी नहीं चाहिए।

© Shadab
नब्ज़ दानी= चिकित्सक
सानी = दूसरा।
तसल्ली = दिलासा।