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समय शूल
// #समय_शूल //

जब जीवन के पल बन जाते शूल,
क्षण - क्षण भेदते ह्रदय- अतल मूल;
चाहे जीवन ने ना की हो एक भूल,
मुरझा जाते हैं, चित - उपवन फूल।

काल पल नहीं निभाते पलभर साथ,
छोड़ निकल जाते नाहीं थामते हाथ;
स्वयं पुनः उठने में पग निभाते साथ,
जीवन काम आत स्वयं का पुरुषार्थ।

काल खींचे भाग्य रेखा अपनी ओर,
कैसे सौंप दूं अपने जीवन की डोर;
जब काल आतुर डसन जीवन भोर,
कलि काल चक्र गढ़े वलय घन-घोर।

स्वयं चुनने पड़ते अपने जीवन पथ,
अपने पग
ही चलना पड़ता अपना अपना पथ;
कोई नहीं देता है, हाथी - घोड़े - रथ,
दो दाने पाने को हाथों से माटी मथ।

आज़ नहीं तो कल बदले कालचक्र,
स्वयं मार्ग देंगे तुझे जग वलय चक्र;
जन्म राशि चाहे हो मीन मकर कर्क,
मन तनिक न होने पावे मलिन मक्र।

विश्वास संकल्प निश्चय नित रहे दृढ़,
अकड़ छू ना पाए चितवन स्नेह गढ़;
विघ्न आएं अनंत तू अपने पथ बढ़,
नित नवीन सफल जीवन सीढ़ी चढ़।

नित नभ सूर्य-चंद्र- तारे तुझे निहारें,
पवन मृदुल स्पर्श तन- मन सहलावे;
मेघदूत निर्मलनीर मन प्यास बुझावे
प्रकृति करे श्रृंगार चंदा लोरी सुनावे।


© Nik🍁