लौट जाओ!(Translation- my dead Dream by Sarojini Naidu)
अंततः क्या ढूंढ लिया तुमने मुझे?
ओ स्वप्न !
हुए मृत तुम सप्त कल्प पूर्व
मैंने दफनाया था तुम्हें महिका वन की गुढ़ता मे
किसने किया अनुमत तुम्हें तुम्हारी निद्रा से
क्यों चले आए तुम यहां तक ढूंढते हुए मुझे जो तू आकाश की गहराई में।
क्या तोड़ पाओगे हरित पवित्र यह पललव
क्या करोगे भयभीत धवल कपोतो को, जो है मेरे संध्या वासिक हर्षक
क्या कर दोगे आबिद का वसन अपवित्र करके मध्यमा का मृत स्पर्श ...
ओ स्वप्न !
हुए मृत तुम सप्त कल्प पूर्व
मैंने दफनाया था तुम्हें महिका वन की गुढ़ता मे
किसने किया अनुमत तुम्हें तुम्हारी निद्रा से
क्यों चले आए तुम यहां तक ढूंढते हुए मुझे जो तू आकाश की गहराई में।
क्या तोड़ पाओगे हरित पवित्र यह पललव
क्या करोगे भयभीत धवल कपोतो को, जो है मेरे संध्या वासिक हर्षक
क्या कर दोगे आबिद का वसन अपवित्र करके मध्यमा का मृत स्पर्श ...