...

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वो चेहरा
अनजान था वो चेहरा,
पर अनजान भी नहीं।
हजार मुस्कान थी वहां,
पर एक वो ही मुस्कान नहीं।
निहारते थे बस एक उस ही चेहरे को,
औरो की हमे कोई चाह ही नहीं।
लाखो चेहरे थे आस पास,
पर और कही हमारी निगाह ही नहीं।
सोचा कई बार कह दू उसे,
पर अभी कुछ किस्सा अधूरा सा पूरा ही नहीं।।
© t@nnu