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युदाई
मैंने सोचा जो वो नहीं हो तुम ।
मेरे तसव्वर में आने वाले
कोई रश्म - ए - गम हो तुम ।
मेरे रस्ते तेरे रस्ते ही हैं जुदा-जुदा
फिक्र ज्यादा सुकूं कम हो तुम ।
मैंने सपने जो सजाए तेरे
उन टूटे हुए ज़र्रों - से - सनम हो तुम।
रिश्तों को जो इज्ज़त से संभाला हमने
उनसे निकले हैं अश्क हम 'औ' तुम ।
© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत'
मेरे तसव्वर में आने वाले
कोई रश्म - ए - गम हो तुम ।
मेरे रस्ते तेरे रस्ते ही हैं जुदा-जुदा
फिक्र ज्यादा सुकूं कम हो तुम ।
मैंने सपने जो सजाए तेरे
उन टूटे हुए ज़र्रों - से - सनम हो तुम।
रिश्तों को जो इज्ज़त से संभाला हमने
उनसे निकले हैं अश्क हम 'औ' तुम ।
© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत'
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