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बारिश की बूंदें
बारिश की बूंदें जब से जमीं पर गिरने लगी है,
मिट्टी की खुशबू चारों ओर मेहकने लगी है,
हवाओं में सरगम सी धुन बजनें लगी है,
जिसे देख अब मेरी सांसें थमने लगी है,
जमीं पर गिरते ही ये नदियों और तालाबों को भरने लगी है,
जिसे सूखे बंजर जगह पर भी खेती होने लगी है,
बारिश की बूंदों की गुस्ताखी तो देखो शरारती अदाओं से मेरे यार को भिगोने लगी है,
लिपकर उनकी बाहों वो मोती हो बनने लगी है,
चूमकर उनके लबों को वो अमृत होने लगी है,
कुछ जो बूंदें बचीं थी वो उनके बदन को छू चांदी सी चमकने लगी है॥
© TheUncoveredThoughts
मिट्टी की खुशबू चारों ओर मेहकने लगी है,
हवाओं में सरगम सी धुन बजनें लगी है,
जिसे देख अब मेरी सांसें थमने लगी है,
जमीं पर गिरते ही ये नदियों और तालाबों को भरने लगी है,
जिसे सूखे बंजर जगह पर भी खेती होने लगी है,
बारिश की बूंदों की गुस्ताखी तो देखो शरारती अदाओं से मेरे यार को भिगोने लगी है,
लिपकर उनकी बाहों वो मोती हो बनने लगी है,
चूमकर उनके लबों को वो अमृत होने लगी है,
कुछ जो बूंदें बचीं थी वो उनके बदन को छू चांदी सी चमकने लगी है॥
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