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की ये रोना धोना छोड़ अब ....
ये रोना धोना छोड़ अब, तू हौसले बुलंद कर ।
यह दुनिया है ईमान की, ईमान को बढ़ाए जा ।तू काली है ,तू चंडिका , हर रूप को निखारे जा।
तेरी आंखों में जो दर्द है, यह दर्द ना छुपाये जा ।
तेरी मौत भी हो सामने, तू सामना कर आए जा। यह दुनिया है जो ढोंग कि, तू पर्दा भी हटाए जा।
ये दुनिया तेरी मुट्ठी में, तू खुद इसे चलाए जा ।
तेरे हौसले बुलंद है ,बुलंदियों पर जाए जा।
तू काली है , तू चंडीका ,नौ रूप भी दिखाई जा।
तेरे दुर्दशा के पापियों को , तू खुद सजा दिलाये जा।
हर बेटी और बहू को तू, इंसाफ भी दिलाए जा।
ये दौड़ है जो पाप की , तू इस पाप को मिटाए जा। तू पापियों को मार खुद या खुद सजा दिलाए जा ।
तुझे नोचा है जिन दुष्टों ने ,उन दुष्टों को मिटाए जा।
तेरी आंखों में जो दर्द है , तू दुनिया को बताए जा।
तेरे जिस्म की हर चोट को , तू ऐसे न छुपाये जा।
तू चुप रहे यह कहते सब ,तू अनसुना कराए जा।
तुझे छूना भी एक पाप है ,जो मर्जी के खिलाफ है।
इन पापियों के पाप पर ,आवाज फिर उठाये जा।
ये दौड़ है जो पाप की ,इस पाप को मिटाए जा।
तू पापियों को मार खुद या खुद सजा दिलाए जा।।

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