...

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नजरिया
सारा खेल तो नज़रिये का है जनाब
आज मन से पहले तन देखा जाता है
किसी रिश्ते से पहले रंग देखा जाता है
किसी की माँ, बहन, बेटी को अपनी हवस मिटाने का ज़रिया समझा जाता है

कुछ लोगो की तो बात हि गजब है -
चाहे कितना ही तन ढक लो वो तो अपने आँखों से ही नग्न करने की बेहूदा ताकत रखते है

आपकी नज़र का इलाज तो कर देगा डॉक्टर मगर नज़रिये का नाही कर पायेगा
कभी कोई पराई स्त्री दिखे तो उसे अपनी माँ, बहन समज के तो देखो
कभी कोई अकेली स्त्री दिखे तो उसे अपनी जिम्मेदारी समज के तो देखो
उस वक्त खुद को भगवान के अंश होने का एहसास हो जायेगा 😌


© Rohit Lokhande