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खुद की जिल्लत
उस दिन हमने खुद की जिल्लत क्या खूब की
वो बोलते गये बाते पत्थर जैसे चुभ की
फिर भी हमने रिश्ते को बनाने की कोशिश खूब की
हर कोशिश आज क्यों लग रही है जैसे मानो धुब की
तब जाके समझ आया जब जाते देखा उनके चेहरे पर ख़ुशी शुभ की
क्या हद कर दी थी हमने भी उस दिन बेवकूफ की
© pawan kumar saini
वो बोलते गये बाते पत्थर जैसे चुभ की
फिर भी हमने रिश्ते को बनाने की कोशिश खूब की
हर कोशिश आज क्यों लग रही है जैसे मानो धुब की
तब जाके समझ आया जब जाते देखा उनके चेहरे पर ख़ुशी शुभ की
क्या हद कर दी थी हमने भी उस दिन बेवकूफ की
© pawan kumar saini
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