...

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खुद की जिल्लत
उस दिन हमने खुद की जिल्लत क्या खूब की
वो बोलते गये बाते पत्थर जैसे चुभ की
फिर भी हमने रिश्ते को बनाने की कोशिश खूब की
हर कोशिश आज क्यों लग रही है जैसे मानो धुब की
तब जाके समझ आया जब जाते देखा उनके चेहरे पर ख़ुशी शुभ की
क्या हद कर दी थी हमने भी उस दिन बेवकूफ की
© pawan kumar saini