...

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गुलाब
माली अपने फूलों की बग़ियाँ मे "
कई तरह के फूल लगाता है...
उन सभी फूलों में से एक नाम,
गुलाब का भी आता है,,,!!

एक रोज उन सभी फूलों में "
प्रतियोगिता का ऐलान हो जाता है....
की देखते है कौन हम सबमे से,
सबसे ज्यादा इंसानों के मन को भाता है,,,!!

एक-एक करके पूरी बग़ियाँ में "
इंसानों की भीड़ लग जाती है...
फूलों को पसंद करने की,
इंसानों की अब बारी आती है,,,!!

तभी देखते ही देखते गुलाब के आगे "
इंसानों की लंबी कतार लग जाती हैं....
यह सब देखकर गुलाब के अंदर,
अहंकार की ज्वाला उत्पन्न हो जाती हैं,,!!

गुलाब के प्रति लोगों का इतना प्यार "
देखकर बाकी के फूल उदास हो जाते हैं...
परंतु उसके बाद भी वह गुलाब को,
प्रतियोगिता का विजेता मान जाते है,,,!!

अपनी खूबसूरती के अहंकार में "
गुलाब इस कदर डूब जाता है...
अच्छा-बुरा , सही-गलत उसको,
कुछ समझ ही ना आता है,,,,!!

दूसरी ओर सुनकर इंसानों की बातें "
फूलों में भी हड़कंप मच जाता हैं...
अरे हाँ,,, आज तो है रोज़ डे,
बग़ियाँ में लगे फूलों को याद आता है,,,!!

होने वाली है गुलाब की कल दुर्दशा "
उन सभी फूलों का मन निराश हो जाता है...
लेकिन अपनी खूबसूरती का मारा,
गुलाब कुछ सुन ही ना पाता है,,,,!!

देखकर बग़ियाँ के बाकी फूलों को "
गुलाब उन्हे खूब चिढ़ाता है....
देखा प्यार की निशानी हूँ,, मैं गुलाब,
तुम सबको अपना क्या अस्तित्व नजर आता है,,,!!

आखिरकार रोज डे का दिन हुआ समाप्त "
अगली सुबह सूरज फिर उग जाता है...
बीते दिन आसमान में उड़ा गुलाब,
जमीं पर गिरा,पैरों तले रौंदा जाता है,,,!!

देखकर अपनी ऐसी दुर्दशा गुलाब को "
अपने ही ऊपर तरस आ जाता हैं....
उसकी खूबसूरती ही, उसका श्राप बनी,
गुलाब का अहंकार चूर-चूर हो जाता है,,,!!

वही बग़ियाँ में लगा हर एक फूल "
नई सुबह का जश्न मनाता है....
लेकिन देखकर गुलाब का खाली स्थान,
उन सभी को गुलाब बहुत याद आता है,,,!!