...

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निशाँ
अपने निशाँ छोड़ते जाओ
हसरत जवाँ रही
कुछ नाम कमाने की
कभी छू आसमाँ
ज़मीं से उड़ जाने की
कुर्सी की ताकत
कभी पैसे की दमक
बाप की बदौलत
नाम की चमक
यादों के कुछ निशान
धूल में हर क्षण
जाने कितने खाक हुए
सिकंदर जाने कितने कण
© "the dust"