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कुछ बदल गया
#दर्पणप्रतिबिंब
नया सा सामने खड़ा है कोई
ये मेरी उम्र से बड़ा है कोई
मैं चाहता हूँ अब कोई ना बाँधे मुझको
और वो जाल बुनता मकड़ा है कोई
आँखे उसकी तो खाली खाली हैं
रखा आँखों में मेरी टूटा घड़ा है कोई
बात मेरी वो भी तो नहीं सुनता है
सालों से चल रहा उससे झगड़ा है कोई
© aseem
नया सा सामने खड़ा है कोई
ये मेरी उम्र से बड़ा है कोई
मैं चाहता हूँ अब कोई ना बाँधे मुझको
और वो जाल बुनता मकड़ा है कोई
आँखे उसकी तो खाली खाली हैं
रखा आँखों में मेरी टूटा घड़ा है कोई
बात मेरी वो भी तो नहीं सुनता है
सालों से चल रहा उससे झगड़ा है कोई
© aseem
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