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रफ्ता-रफ्ता
इन आँखों की मस्ती में
तेरा नाम जो आया हैं
रफ्ता रफ्ता इसने मुझे
कुछ ख्वाब दिखाया हैं
मेरे दिल की ये कश्ती डूबी
तेरी मस्तानी आखों में
मुझे एसे न भरमा तू भी
इन मीठी मीठी बातों में
हिज्र का आलम ये खत्म होगा
शायद अब यू वस्ल की बातों से
कायम ये फ़िजा होगी
फ़िर इक नयी मुलाक़ातों से
चमन रोशन दिल का होगा
अब नूर ए वफाओं से
अब तन्हाई शायद हटेगी
अब इन सूनी सी बाहों से
© Abhishek maurya
तेरा नाम जो आया हैं
रफ्ता रफ्ता इसने मुझे
कुछ ख्वाब दिखाया हैं
मेरे दिल की ये कश्ती डूबी
तेरी मस्तानी आखों में
मुझे एसे न भरमा तू भी
इन मीठी मीठी बातों में
हिज्र का आलम ये खत्म होगा
शायद अब यू वस्ल की बातों से
कायम ये फ़िजा होगी
फ़िर इक नयी मुलाक़ातों से
चमन रोशन दिल का होगा
अब नूर ए वफाओं से
अब तन्हाई शायद हटेगी
अब इन सूनी सी बाहों से
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