...

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खुश रहूँगा
सोचा था,
रुढा हूँ तो मनाने आओगे
इसबार दिवाली साथ मनाओगे
पर,
तुम नहीं आये
आखिर चले गये....अपने घर
चलो ठीक है
ये भी अच्छा ही हुआ
मैं जो पाल रहा था
जुटी तसल्ली
उससे छूट गया
जान गया मेरा रब मूजसे रुढ गया
अब
कुछ न रहा कहेने को
ना शिकायत
ना महोब्बत
जानता हूँ तुम खुश रहोगे
अब मैं भी तुमसे
और भी ज्यादा प्यार करुँगा
हा!मैं भीअब खुश रहूँगा।।

सौम्यसृष्टि

© Somyashrusti