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बहाव
जिंदगी तू इतना बता
मुझे बहा ले जा रही कहां
न मेरा ठिकाना
न मेरा आशियाना
न मेरा कोई अपना
न मेरा कोई सपना
न मेरी कोई दिशा
न मेरी कोई दशा
तब भी बहा ले जा रही कहां
खुद से कई बार वादे किये
खुद को बहुत समझाये
पर दिल टूटा बार बार शीशे की तरह
जिन्दगी तू इतना बता मुझे बहा ले जा रही कहां
दिल भी हारा लगता है
दिमाग़ भी हारा लगता है
दिशा मैं खोज रही हूँ
शायद कोई रास्ता मिल जाए
देखती हूं क्या होगा इसका अंत
कहीं भीड़ में न खो जाये हम
जिंदगी तू इतना बता
मुझे बहा ले जा रही कहां ।।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki
मुझे बहा ले जा रही कहां
न मेरा ठिकाना
न मेरा आशियाना
न मेरा कोई अपना
न मेरा कोई सपना
न मेरी कोई दिशा
न मेरी कोई दशा
तब भी बहा ले जा रही कहां
खुद से कई बार वादे किये
खुद को बहुत समझाये
पर दिल टूटा बार बार शीशे की तरह
जिन्दगी तू इतना बता मुझे बहा ले जा रही कहां
दिल भी हारा लगता है
दिमाग़ भी हारा लगता है
दिशा मैं खोज रही हूँ
शायद कोई रास्ता मिल जाए
देखती हूं क्या होगा इसका अंत
कहीं भीड़ में न खो जाये हम
जिंदगी तू इतना बता
मुझे बहा ले जा रही कहां ।।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
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