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पश्मीना सा इश्क
इश्क है मेरा थोड़ा थोड़ा पश्मीना सा
कभी हल्की ठंड में गरमाहट सा
इश्क मेरा बादल के छोटे टुकड़े सा
बड़े टुकड़े से मिलने को बेकरार सा
इश्क मेरा प्रस्फुटित बीज सा
लिपकर बेल में बढ़ने को तैयार सा
इश्क मेरा पीसी हुई मेहंदी सा
अपने रंग में रंगने को तैयार सा
इश्क मेरा बस तेरा होने को
तेरे नाम में ढलने को तैयार सा।।
कभी हल्की ठंड में गरमाहट सा
इश्क मेरा बादल के छोटे टुकड़े सा
बड़े टुकड़े से मिलने को बेकरार सा
इश्क मेरा प्रस्फुटित बीज सा
लिपकर बेल में बढ़ने को तैयार सा
इश्क मेरा पीसी हुई मेहंदी सा
अपने रंग में रंगने को तैयार सा
इश्क मेरा बस तेरा होने को
तेरे नाम में ढलने को तैयार सा।।
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