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सब माया है
इस संसार रूपी मेले में तो सब माया है,
इस जहा से कोई क्या ले कर जाएगा,
और कोई क्या ले कर आया है।
मानव जिसके पीछे भाग रहा है,
वो तो मिट्टी की बस एक काया है।
संसार में कोई किसी का नहीं,
ये सब जग की माया है।
इस पंच तत्व मिलित शरीर के
संग बस उसका ही साया है,
अंधेरे में कहा वो भी टिक पाया है।
इच्छा की पूर्ति हेतु मानव ने होड़ लगाया है,
परोपकार का स्मरण नहीं ,
स्वार्थ सिद्धि का ही वृक्ष उगाया है।
जब तक जीवन है प्रेम से रहो,
वरना नफरत से किसका भला हो पाया है।
-@Kavyaprahar
इस जहा से कोई क्या ले कर जाएगा,
और कोई क्या ले कर आया है।
मानव जिसके पीछे भाग रहा है,
वो तो मिट्टी की बस एक काया है।
संसार में कोई किसी का नहीं,
ये सब जग की माया है।
इस पंच तत्व मिलित शरीर के
संग बस उसका ही साया है,
अंधेरे में कहा वो भी टिक पाया है।
इच्छा की पूर्ति हेतु मानव ने होड़ लगाया है,
परोपकार का स्मरण नहीं ,
स्वार्थ सिद्धि का ही वृक्ष उगाया है।
जब तक जीवन है प्रेम से रहो,
वरना नफरत से किसका भला हो पाया है।
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