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साँसें तो आनी जानी है
ज़िन्दगी खुबसूरत है, सिर्फ़ मोहब्बत उसकी रवानी है।
आख़िरी मुलाक़ात कब हो जाए, साँसें तो आनी जानी है।।
बहती धारा में शामिल हैं, यह सुर्ख लबों की पैमानी है।
छलका दो आज इश्क़ का जाम, दिल बना बेईमानी है।।
रूह से रूह तक का यह सफ़र लगे कोई आमदानी है।
हिसाब से परे हो रिश्ता जुड़ा, आसान होना जिस्मानी है।।
अफसाना बना दिया है, सबको सुनानी अपनी कहानी है।
रूहानियत से जुड़े हुए साँसों की डोर, लगे अब सुहानी है।।
खूबसूरत ज़िन्दगी जी लो, यह पल ना फ़िर आनी है।
रेत की तरह फिसलते हुए रिश्ते लगे हमें बदगुमानी है।।
लम्हात-ए-इश्क़ की कशिश में "मुद्रा" यूँ बनी अमानी है।
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी की लिखलो, साँसें तो आनी जानी है।।
© LopaTheWriter
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