#कभी~कभी
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है।
कि ~
क्यों मुझे कोई ठिकाना नहीं मिलता,
कभी साथी तो कभी सहारा नहीं मिलता।
कश्तियाँ डूबती हैं क्यों किनारों पर आकर,
क्यों हर कश्ती को किनारा नहीं मिलता।
लोग मसरूफ हैं एक दूसरे की जड़ें काटने में,
सवाल है तूफानी रात में दीपक जलाने का ।
लोग कहते हैं फुरसत नहीं है मिलने की,
बात यह है कि जरूरी है मिलना कितना।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️💐© ranjeet prayas
कि ~
क्यों मुझे कोई ठिकाना नहीं मिलता,
कभी साथी तो कभी सहारा नहीं मिलता।
कश्तियाँ डूबती हैं क्यों किनारों पर आकर,
क्यों हर कश्ती को किनारा नहीं मिलता।
लोग मसरूफ हैं एक दूसरे की जड़ें काटने में,
सवाल है तूफानी रात में दीपक जलाने का ।
लोग कहते हैं फुरसत नहीं है मिलने की,
बात यह है कि जरूरी है मिलना कितना।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️💐© ranjeet prayas