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कागज़
फिर कुछ चीजे वहीं सिमट कर रह गईं
जैसे संगीत
जैसे तूलिका
जैसे प्रेम
जैसे मेरा संसार
सांस भर चलती है
बेमतलब
जैसे चलना ही है इसको
समय की सुइयों के साथ
दादी कहती थी की कागज पूरा नहीं होता
तो कोई नही जाता
तो ये सुइयां यूंही चलती रहेंगी
जब तक विधाता लिख रहा है
इस कागज पर अपने मन से
जिस दिन उसका मन भी ऊब जायेगा
मेरी तरह
वो लिखना बंद कर देगा
कागज पूरा हो जाएगा l
श्रद्धा
© Shraddha S Sahu
जैसे संगीत
जैसे तूलिका
जैसे प्रेम
जैसे मेरा संसार
सांस भर चलती है
बेमतलब
जैसे चलना ही है इसको
समय की सुइयों के साथ
दादी कहती थी की कागज पूरा नहीं होता
तो कोई नही जाता
तो ये सुइयां यूंही चलती रहेंगी
जब तक विधाता लिख रहा है
इस कागज पर अपने मन से
जिस दिन उसका मन भी ऊब जायेगा
मेरी तरह
वो लिखना बंद कर देगा
कागज पूरा हो जाएगा l
श्रद्धा
© Shraddha S Sahu
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