...

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रखता हूं मैं।
नहीं कोई वाकिफ इतने दर्द लिए चलता हूं।
अकेले में रो लू कितना भी चाहे मैं,
जब मिलू किसीसे तो मस्कुराके मिलता हूं।
डर लगता है मुझे कहीं फिर से टूट ना जाउ मैं,
इसलिए अब सबसे थोड़ा फासला रखता हूं।
ये जो मुस्कान है मेरी युही खूबसूरत नहीं बनी,
अपने आपको बड़ा छुपाकर रखता हूं मैं।
अब करना ही क्या है मुझे किसी को अपना बना कर,
जब खुद ही सबसे दूर रहता हूं मैं।
नहीं करने अब अपने एहसास बयान किसी को भी।
इसलिए अपनी अबरू को काबू मैं रखता हूं मैं।
--voice of heart