...

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वृक्ष था मेरे आंगन के बाहर
#वृक्ष था मेरे आंगन के बाहर#
वृक्ष था मेरे आंगन के बाहर||
मैं वहां खेलने जाता||
कर ली थी उसने मुझसे यार||
मैं उसके पास खाता वह मेरे पास पीता|| मेरा ठिकाना उसकी शाखा और उसकी शाखा का ठिकाना मेरे नीचे||

कई वर्ष चली दोस्ती हमारी ||
कई बस चला याराना हमारा||
हो चले थे कई साल
अब भूल गया था उसको||
जब नजर पड़ी लकड़हारे की वृक्ष की लकड़ी पर|| तब मार गिराया वृक्ष को||
आया मैं कुछ वक्त बाद तब मैंने पाया
मैं तो था लकड़हारे का यार||

लेखक~
@HITSR
© HITSR_#